Kawardhaकबीरधामछत्तीसगढ़

माफिया बेलगाम, राजदीप कंपनी के नाम पर चल रहा ‘कोचिया नेटवर्क’, गांव-गांव में बिक रही है अवैध शराब, पुलिस की कार्रवाई के बाद खुला बड़ा रैकेट

शराब माफिया बेलगाम, राजदीप कंपनी के नाम पर चल रहा ‘कोचिया नेटवर्क’, गांव-गांव में बिक रही है अवैध शराब, पुलिस की कार्रवाई के बाद खुला बड़ा रैकेट

शराब माफिया बेलगाम, राजदीप कंपनी के नाम पर चल रहा ‘कोचिया नेटवर्क’, गांव-गांव में बिक रही है अवैध शराब, पुलिस की कार्रवाई के बाद खुला बड़ा रैकेट

IMG 20250630 095045

 

कवर्धा: जिले में अवैध शराब कारोबार अपने चरम पर है। गांव हो या शहर, हर गली और वार्ड में शराब बेचने वाले कोचियों की भरमार है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि इन कोचियों के पास भारी मात्रा में देशी शराब आखिर आती कहां से है? इसका जवाब चौंकाने वाला है — सीधे सरकारी शराब दुकान से ही अवैध सप्लाई हो रही है, वो भी राजदीप शराब कंपनी के संरक्षण में।

 

सूत्रों के मुताबिक, राजदीप कंपनी का एरिया मैनेजर समीर साहू, अपने सेल्समैन और सुपरवाइजरों की मिलीभगत से शराब दुकानों से सीधे कोचियों को देशी शराब महंगे दामों पर सप्लाई कराता है। यही नहीं, जिले के पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के नाम पर शराब पहुंचाने का काम करवाया जा रहा है। पूर्व में राजनांदगांव जिले के छुरिया में समीर साहू के ऊपर अवैध शराब बिक्री कराने के आरोप लग चुके है, यही कारण से उन्हें जिले से बाहर का रास्ता दिखा दिए थे अब कबीरधाम जिले में समीर साहू अवैध शराब बेचवा रहे है, युवाओं को नशे के लत में ढकेल रहे है ।

 

पुलिस की कार्रवाई से हुआ खुलासा

शहर के ट्रांसपोर्ट नगर में सिटी कोतवाली पुलिस ने दो लोगों को अवैध देशी शराब के साथ गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी कोचियों को शराब सप्लाई कर रहे थे। पूछताछ में आरोपियों ने चौंकाने वाला खुलासा किया — ये लोग राजदीप कंपनी के एरिया मैनेजर समीर साहू के कहने पर शराब उठाकर कोचियों तक पहुंचाते थे।

 

एक तरफ प्रदेश के डिप्टी सीएम विजय शर्मा नशा के सौदागरों पर शिकंजा कसने और कार्रवाई करने की बात करते है लेकिन शराब दुकान के कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम को ठेंगा दिखाते जिले में अवैध शराब धड़ल्ले से कोचियों तक पहुंचा रहे है..

 

सरकारी शराब दुकानों से एक बार बिकने के बाद शराब वापस नहीं ली जाती — लेकिन इस मामले में यही शराब फिर से दुकानों में बेची जा रही है, जो साफ दर्शाता है कि इसमें शराब दुकानों के कर्मचारी भी शामिल हैं।

QR कोड सिर्फ दिखावा, असलियत में लूट

शराब की बोतलों में लगाए गए QR कोड सिर्फ दिखावे की चीज बनकर रह गए हैं। ग्राहक के स्कैन करने के लिए लगाए गए इन कोड्स को खुद सेल्समैन स्कैन नहीं करते। यानी रिकॉर्ड में सब क्लीन, लेकिन धरातल पर कोचियों के घर-घर शराब पहुंच रही है।

 

गांव-गांव में बर्बादी का धंधा

कोचियों की बाढ़ से ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग परेशान हैं। शराब की आसान उपलब्धता ने युवाओं को नशे की गर्त में ढकेल दिया है। गांवों का माहौल बिगड़ रहा है और शहरों की गलियों में आधी रात तक धड़ल्ले से शराब बिक रही है।

 

लेकिन हैरानी की बात ये है कि आबकारी विभाग को अपने ही कर्मचारियों की इस कारगुजारी की भनक तक नहीं है — या फिर वे जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं?

 

सरकार की नशा मुक्ति योजनाओं की खुली पोल

एक ओर सरकार नशा मुक्ति अभियान चला रही है, दूसरी ओर उसी सरकार की लाइसेंसी दुकानें कोचियों को शराब पहुंचाकर पूरे जिले को नशे में डुबो रही हैं।

 

यही नहीं, पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री शराब घोटाले के चलते जेल की हवा खा रहे हैं, और कई अधिकारी बेल पर बाहर हैं — लेकिन मौजूदा व्यवस्था भी कुछ अलग नहीं दिखती। शराब माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे अब खुद ही सप्लायर बन बैठे हैं।

 

अब देखना ये है कि प्रशासन इस पूरे रैकेट पर क्या बड़ा कदम उठाता है या फिर एक-दो गिरफ्तारी के बाद सबकुछ फिर से ‘सिस्टम’ के हवाले छोड़ दिया जाएगा।

Related Articles

Back to top button

You cannot copy content of this page