एसीबी केस में बड़ी जीत! छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से दीपक नामदेव बरी — सत्य की हुई जीत!
📍 कवर्धा।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एसीबी के बहुचर्चित मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अंत्यावसायी विकास विभाग के तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन अधिकारी दीपक नामदेव को सभी आरोपों से पूरी तरह बरी कर दिया है।
माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा —
> “अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध करने में पूरी तरह विफल रहा है।”
इस फैसले के साथ ही 6 साल से चल रही न्यायिक जंग में आखिरकार सत्य की जीत हुई है।
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🔹 मामले की पृष्ठभूमि
17 जनवरी 2019 को एसीबी ने दीपक नामदेव के कार्यालय में छापा मारकर कार्रवाई की थी।
निचली अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था, जिसके खिलाफ नामदेव ने अपने अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल के माध्यम से उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
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🔹 हाईकोर्ट में बचाव पक्ष की दलीलें
अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता कामू बैंगा को ऋण की पूरी राशि पहले ही जारी की जा चुकी थी — ऐसे में “रिश्वत मांगने” का प्रश्न ही नहीं उठता।
उन्होंने यह भी बताया कि काम पूरा न करने पर तीन बार नोटिस जारी किए गए थे, जिसके बाद वसूली की कार्यवाही प्रारंभ हुई। इसी से नाराज होकर शिकायतकर्ता ने झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
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🔹 मुख्य गवाहों के बयान
दोनों पंच साक्षी — पुनेश्वर वर्मा और एस.के. लाल — ने अदालत में बयान दिया कि उन्होंने
> “न कुछ देखा, न कुछ सुना।”
बरामद रकम भी खुली जगह से मिली थी, जो आरोप को साबित नहीं करती।
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🔹 अंतिम फैसला
मुख्य न्यायाधीश ने कहा —
> “रिश्वत की मांग का कोई ठोस सबूत नहीं है,”
जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत दोषसिद्धि के लिए आवश्यक है।
इसी आधार पर 5 जुलाई 2023 को निचली अदालत द्वारा पारित सजा आदेश को निरस्त करते हुए दीपक सिंह नामदेव को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
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⚖️ न्याय की जीत — बेगुनाही साबित!
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए दीपक नामदेव ने कहा —
> “सच्चाई की जीत में मुझे विश्वास था, आज न्याय ने वह साबित कर दिया।”





