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राज्योत्सव रजत जयंती के दूसरे दिन छाया छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत का जादू, प्रसिद्ध गायक अनुराग शर्मा ने मोहा दर्शकों का मन

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव रजत जयंती समारोह के दूसरे दिन कवर्धा का पूरा माहौल लोक संगीत और संस्कृति के रंगों में डूबा नज़र आया। जिला मुख्यालय स्थित आचार्य पंथ श्री गृथमुनि नाम साहेब शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मैदान में आयोजित भव्य सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध गायक श्री अनुराग शर्मा ने अपनी मधुर आवाज़ और ऊर्जावान प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राज्योत्सव रजत जयंती के दूसरे दिन छाया छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत का जादू, प्रसिद्ध गायक अनुराग शर्मा ने मोहा दर्शकों का मन

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कवर्धा, 03 नवम्बर 2025।

छत्तीसगढ़ राज्योत्सव रजत जयंती समारोह के दूसरे दिन कवर्धा का पूरा माहौल लोक संगीत और संस्कृति के रंगों में डूबा नज़र आया। जिला मुख्यालय स्थित आचार्य पंथ श्री गृथमुनि नाम साहेब शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मैदान में आयोजित भव्य सांस्कृतिक संध्या में प्रसिद्ध गायक श्री अनुराग शर्मा ने अपनी मधुर आवाज़ और ऊर्जावान प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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श्री शर्मा के लोकप्रिय गीतों की श्रृंखला ने पूरे वातावरण को संगीतमय बना दिया। जैसे ही उन्होंने अपने मशहूर गीत “गीत कोनों गांहू गोरी”, “तोर सुरता मा”, “मेरा भोला है भंडारी” और “जय जय जय बजरंगबली” प्रस्तुत किए, मैदान में तालियों की गूंज और दर्शकों के उत्साह ने माहौल को और जीवंत कर दिया।

 

उनकी गायकी में छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू, लोक संस्कृति की आत्मा और आधुनिक संगीत का समन्वय झलक रहा था। देर रात तक दर्शक झूमते और गीतों की लय में खोए रहे।

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लोक संस्कृति और परंपरा का अनोखा संगम

 

राज्योत्सव की इस संध्या में छत्तीसगढ़ी लोकगीतों से लेकर हिंदी फिल्मों के मधुर गीतों तक का सुंदर मेल देखने को मिला। अनुराग शर्मा के साथ स्थानीय कलाकारों ने भी मनमोहक प्रस्तुतियाँ देकर मंच का शमां बांध दिया।

 

कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष श्री चन्द्र प्रकाश चंद्रवंशी, कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा, जिला पंचायत सीईओ श्री अजय कुमार त्रिपाठी, जनप्रतिनिधि, अधिकारीगण और बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित रहे। सभी ने कलाकारों की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को जीवंत रखने का सुंदर माध्यम हैं।

पारंपरिक बांसगीत से जीवंत हुई छत्तीसगढ़ की विरासत

 

यादव समाज के कलाकारों ने पारंपरिक “जय बाबा भोरमदेव बांसगीत” की शानदार प्रस्तुति दी। यह दुर्लभ कला रूप अब कम सुनाई देता है, लेकिन इस मंच पर कलाकारों ने इसे जीवंत कर दिया। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ पीढ़ियों से चली आ रही इस सांस्कृतिक धरोहर को दर्शकों ने भावपूर्वक सुना और सराहा।

नरसिंह अवतार की नृत्यनाटिका ने किया रोमांचित

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कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राओं द्वारा “नरसिंह अवतार” पर आधारित नृत्यनाटिका की प्रस्तुति ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। भगवान विष्णु के इस अवतार को छात्राओं ने अपने अभिनय और नृत्य के माध्यम से जीवंत किया, जिससे दर्शकों में भक्ति और उत्साह का वातावरण बन गया।

“पियर पियर तोर जावरा” और “गौरा-गौरी” गीतों ने भक्ति और लोक रंग बिखेरा

 

बोड़ला के लोक कलाकार चुम्मन साहू ने भावपूर्ण जसगीत “पियर पियर तोर जावरा” और “गौरा-गौरी” की प्रस्तुति से मंच को भक्ति और लोक संस्कृति के रंगों से भर दिया। दर्शक गीतों की लय और भाव में डूबकर झूमते नज़र आए।

सरगम टीचर्स ग्रुप ने फिल्मी गीतों से महकाया मंच

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राज्योत्सव के दूसरे दिन सरगम टीचर्स ग्रुप के श्री महेश सिंह ठाकुर एवं साथियों ने “मेरी जिंदगानी है मेरी महबूबा” और “जाने जा ढूंढता फिर रहा” जैसे मशहूर गीतों की प्रस्तुति दी। उनकी आवाज़ और प्रस्तुति ने दर्शकों को पुराने फिल्मी दौर की यादों में ले गया।

 

छत्तीसगढ़ की पहचान – संगीत, संस्कृति और परंपरा का संगम

राज्योत्सव की इस संगीतमय संध्या ने कवर्धा के लोगों को यह एहसास दिलाया कि छत्तीसगढ़ केवल “धान का कटोरा” ही नहीं, बल्कि संगीत, संस्कृति और परंपरा का अनुपम संगम है।

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